स्वतंत्रा से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत अपने स्वतंत्रता के पहले ब्रिटिश शासन के अधीन था। उस समय, भारत की अर्थव्यवस्था उदासीन थी। उस समय भारत की अर्थव्यवस्था उत्पादन, वित्त और व्यापार के क्षेत्र में पिछड़ी थी। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

अर्थव्यवस्था की विकास की समस्याएं
भारत की अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्याएं थीं उत्पादकता, भूमि का अधिग्रहण, विदेशी निवेश, व्यापार नीति और कानून। ये सभी समस्याएं साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था को बाधित करती थीं।
उत्पादकता
भारत की उत्पादकता कम थी। उत्पादन घटने के कारण, आय और रोजगार की समस्याएं भी उत्पन्न हुईं। भारत अपनी आवश्यकताओं के लिए बाहर से वस्तुओं को आयात करता था जो विदेशी वाणिज्य और वित्त को लाभ प्रदान करता था।
भूमि का अधिग्रहण
ब्रिटिश सरकार ने भारत में भूमि का अधिग्रहण कर लिया था, जिससे किसानों के पास अपनी खेती करने के लिए कम जगह रह गई। इससे किसानों की आय कम हो गई और उन्हें अपनी जरूरतों के लिए उपलब्ध वस्तुओं को खरीदने में मुश्किल हो गई
विदेशी निवेश
भारत में विदेशी निवेश कम था। इससे उत्पादन और आय कम हुईं और देश में विकास नहीं हुआ। विदेशी निवेश बाहरी निजी निवेशकों के लिए भी उपलब्ध नहीं था जो उन्हें देश में अधिक निवेश करने से रोक देती थी।
व्यापार नीति और कानून
भारत की व्यापार नीति और कानून भी दुर्बल थी। ब्रिटिश शासन ने अपनी व्यापार नीतियों को भारत में लागू किया, जो विदेशी निजी वाणिज्य के लिए फायदेमंद थी। भारतीय व्यापारियों के लिए यह नीति नुकसानदायक थी।
स्वतंत्रा से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था
विकास की दिशा में कदम
भारत की अर्थव्यवस्था को विकास की दिशा में ले जाने के लिए, ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न अधिनियमों और नीतियों को लागू किया। 1947 में भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर लिया था और स्वतंत्र भारत की अर्थव्यवस्था को विकास की दिशा में ले जाने के लिए कदम उठाए गए।
भारत सरकार ने पहले वित्तमंत्री टीटी कृष्णमाचारी के नेतृत्व में एक प्रगतिशील आर्थिक नीति बनाई जिसके तहत बड़ी उद्योगों को स्थापित करने के लिए उन्हें नियत किए गए। इससे अपने उद्यमों को स्थापित करने के लिए भारतीय उद्यमियों को वित्तीय सहायता मिली जो उन्हें अपनी व्यापार गतिविधियों को विस्तारित करने में मदद करने में सक्षम बनाती थी।
भारत सरकार ने इसके साथ ही अन्य कदम भी उठाए जैसे कि नई उद्योग नीति बनाई, जिसमें विदेशी निवेशकों को अपनी निवेश की नीतियों को बदलने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही भारत सरकार ने खाद्य और कृषि नीतियों को भी सुधारने के लिए उदाहरण रूप से खेती के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाया।
विवेकानंद केंद्र द्वारा संचालित ग्रामीण विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय रोजगार योजना जैसी कई अन्य योजनाओं के तहत भी विकास की दिशा में कदम उठाए गए।
स्वतंत्रा से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था
हालांकि, भारत स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भी, विकास की दिशा में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भारत इस समय उन देशों में से एक था जो अपनी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए पूरी तरह से नई नीतियों और आवश्यक सुधारों की जरूरत थी।
स्वतंत्र भारत ने उद्योग, कृषि, विदेशी निवेश, वित्त और बाजार सुधार जैसे कई क्षेत्रों में आवश्यक बदलावों की घोषणा की। इन बदलावों के बाद, भारत की अर्थव्यवस्था उन देशों में से एक हुई जो सबसे तेजी से विकास कर रहे थे।
साथ ही, भारत सरकार ने अपनी अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को एक नई प्रेरणा दी जो विकास और सुधार के लिए अपनी अवसरों का उपयोग करना चाहते थे। भारत अब एक दुनिया के महत्त्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो विकास की दिशा में है।
अब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जो तेजी से विकास कर रही है। इसके साथ ही, भारत अब दुनिया का एक महत्वपूर्ण विदेशी निवेश निर्देशक है जो अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए निवेश करते हैं।
भारत की वर्तमान अर्थव्यवस्था उन दिनों से कहीं अधिक विस्तृत और विस्तारशील हो चुकी है जब यह स्वतंत्रता प्राप्त करने से पहले थी। आज के समय में भारत दुनिया के सबसे तेजी से विकास कर रहे देशों में से एक है जो अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित कर रहा है।
साथ ही, भारत दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है जो अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए कई सुधारों की जरूरत है। अभी भी भारत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि गरीबी, असंतुलन, विदेशी निवेश, वातावरण और विकास के लिए संचार संरचना की कमी।

इन समस्याओं का सामना करते हुए भारत सरकार ने कई योजनाएं शुरू की जो इन समस्याओं का समाधान करने में मदद करेंगी। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं:
प्रधानमंत्री जन धन योजना: यह योजना गरीब लोगों के लिए है जो बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। इस योजना के तहत गरीब लोगों को फ्री बैंक खाते, डेबिट कार्ड और बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है।
महात्मा गांधी नरेगा: यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों को रोजगार और अनुभव के साथ-साथ उनकी आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए शुरू की गई है।
अटल पेंशन योजना: यह योजना वरिष्ठ नागरिकों के लिए है जो अपने वृद्धावस्था में भी आर्थिक रूप से स्वयं समर्थ रहना चाहते हैं। इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों को नियमित पेंशन प्रदान की जाती है।
स्वच्छ भारत अभियान: यह योजना भारत को स्वच्छ बनाने के लिए शुरू की गई है। इस योजना के तहत शहरों और गांवों की सफाई के लिए कई पहल की जाती है।
भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारतीय राजनीतिज्ञों ने अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण प्रयास और योगदान किए हैं। इन योगदानों की वजह से भारत अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सफल हुआ है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक आधुनिक भारत के विकास के लिए विशेष महत्वपूर्ण योजनाओं का आरंभ किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नेहरू के नैतिक आदर्शों के साथ-साथ भारत को एक आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए उपयोगी नीतियों की विकसिति की।
लाल बहादुर शास्त्री: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता के साथ-साथ देश में उद्योगों के विकास के लिए नीतियों का आविष्कार किया।
इंदिरा गांधी: भारत की तीसरी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक मजबूत और स्वतंत्र अर्थव्यवस्था के लिए कई उदार नीतियों का आविष्कार किया। उन्होंने बैंकिंग,बीमा, विदेशी निवेश और विदेशी मुद्रा नियमों को सुधारने के लिए कानून बनाएं। उन्होंने देश में उद्योगों और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियां बनाईं।
राजीव गांधी: भारत के पांचवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विदेशी निवेशों को आसान बनाने के लिए विदेशी सीमा नियमों को सुधारा। उन्होंने अपनी नीतियों के माध्यम से उद्योगों को समर्थन दिया और उन्हें सुरक्षा भी प्रदान की।
मनमोहन सिंह: भारत के दसवें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्वस्तरीय बनाने के लिए नीतियों का आविष्कार किया। उन्होंने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए उपयोगी नीतियों का विकसित किया। उन्होंने बैंकिंग से लेकर अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में सुधार किए।
नरेंद्र मोदी: वर्तमान समय में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहतर भविष्य के लिए भारत की अर्थव्यवस्था में कई नई नीतियों का विकास किया है। उन्होंने बिजली, सड़क और पानी जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए कई नए योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे कठिन निर्णय लिए थे, लेकिन इन निर्णयों के परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था में गहरी बदलाव आए। उन्होंने स्टार्टअप क्षेत्र में नई नीतियां बनाईं जिससे युवा लोगों के लिए उद्यमिता का माहौल बनाने में सहायता मिली।
स्वतंत्रा से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था

अतिरिक्त कदमों की आवश्यकता
हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था में अभी भी कई क्षेत्र हैं जिन्हें सुधार की जरूरत है। जैसे कि किसानों के हित में नीतियों का विकास, बड़े उद्योगों के साथ छोटे उद्योगों के संवाद को बढ़ावा देने के लिए नीतियों का आविष्कार, और राज्यों के बीच असंगति को दूर करने के लिए संविधान में संशोधन करना।
संक्षेप में
इसलिए, भारतीय अर्थव्यवस्था आज अपनी विकास यात्रा पर तेजी से आगे बढ़ रही है। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था में बड़े परिवर्तन किए हैं और विकास के लिए नई नीतियां बनाईं हैं। भारत की आज की अर्थव्यवस्था विश्व स्तर पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
समाप्ति
भारत की अर्थव्यवस्था का विकास स्वतंत्रता के बाद अधिक गति से हुआ है। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं ने बड़ी प्रगति की है। इसके बावजूद, भारत के स्वदेशीकरण की समस्याएं अभी भी बची हैं जिन्हें सुधार करने की आवश्यकता है। उन्नति के लिए भारत को आगे बढ़ना होगा और नई नीतियों को अपनाना होगा
भारत को उच्च विश्वस्तर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने के लिए दूसरों की तुलना में अधिक उन्नति के लिए नए कदम उठाने होंगे। अधिक विदेशी निवेश को आमंत्रित करने और भारत के निजी क्षेत्र को उन्नत करने के लिए नई नीतियों की आवश्यकता है। इसके साथ ही, भारत को अपने कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में भी सुधार करना होगा।
भारत की अर्थव्यवस्था एक सफल कहानी है जिसमें नेताओं, अधिकारियों, और जनता ने संघर्ष किया है। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने अपने विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। ये कदम भारत की अर्थव्यवस्था में अधिक उन्नति लाने में मदद कर रहे हैं। भारत अब दुनिया के विश्वस्तर पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसका विकास और आगे बढ़ने के लिए आज के समय में नए कदम उठाए जा रहे हैं।
Article By Ashish Tanwar [Loan Shagun]